छ माह में जप्त हो जायेगा कालाधन
कालाधन और भ्रष्टाचार को खत्म कर सकती है तकनीक .
भ्रष्टाचार के खिलाफ़ बातें बहुत लंबी चौडी की जा रही है लेकिन राजनीतिक दलों से लेकर समाज सुधारक कोई भी नही चाहता की भ्रष्टाचार मिटे। अन्ना हजारे को महाराष्ट्र से निकाल कर हिंदुस्तान और पुरी दुनिया के स्तर पर प्रसिद्ध होने का लाली पाप दिखाकर तथा कथित सिविल सोसायटी नामक करोडपतियों की एक संस्था ने जन लोकपाल नाम के बिल को लेकर एक अच्छा खासा ड्रामा दिल्ली में किया । इन ड्रामेबाजो ने उस अनशन के ड्रामे को प्रचारित करने के लिये सभी तरह के हथकंडे अपनाये । मीडिया मैनेजमेंट से लेकर विभिन्न क्षेत्रों से आये ड्राईंग रुम योद्धाओं ने वहां आकर समर्थन जताया । पांच दिन तक चले इस ड्रामें तकरीबन पचास लाख रुपये प्रचार –प्रसार , टेंट शमियाना और पिने-पिलाने में खर्च हो गयें । पिने –पिलाने का मतलब है मिनरल वाटर । हासिल क्या हुआ यह भविष्य की गर्भ में है । मैं शुरुआत से हीं इस ड्रामे का विरोध कर रहा हूं। मुझे यह एक षडयंत्र लगता है , भ्रष्टाचार से ध्यान बटाने का । सोने के गहने की बजाय सिटी गोल्ड देकर ठगने वाली हरकत जैसा । अब जब यह बिल पास होने हीं वाला है तो ईसका सबसे पहला मुख्य पदाधिकारी अन्ना हजारे को बनना चाहिये । अगर वह नही बनेंगे तो बाद में इस वाहियात संस्था के असफ़ल होने की स्थिति में दुसरे के मत्थे असफ़लता का ठिकरा फ़ोडेंगे । खैर अब मैं आता हूं असली मुद्दे पर । वह है की भ्रष्टाचार कैसे खत्म हो या कम हो । लोकपाल एक दंडात्मक विधान है और उसके पिछे सजा का भय पैदाकर भ्रष्टाचारियों पर अंकुश लगाने की अवधारणा है । सरकार ने एक योजना लागू की थी उसे नाम दिया था यूनिक आई डी । यह प्रचारित किया गया था की इस यूनिक आई डी में हरेक व्यक्ति के विषय में सभी जरुरी सुचना दर्ज रहेगी । यानी यूनिक आई डी धारक के परिवार से लेकर , गांव, पंचायत, प्रखंड , अनुमंडल, जिला, राज्य, अपराध, संपति : चल एवं अचल सारी सुचनायें इसमें दर्ज हो जायेंगी । मुझे बहुत खुशी हुई थी और मैने यह कहना भी शुरु कर दिया था कि जल्द हीं वह समय आ रहा है जब कालाधन छुपाना आसान नही रहेगा । इस योजना के लागू होने के पहले से यह मेरी परिकल्पना थी और मैं इसपर काम कर रहा था । अपने मुंह मियां मिठ्ठु बनने के लिये मैं यह दावा नही कर रहा हूं। आज भी मैं जातिवाद, दहेज और परिवार नियोजन जैसी समस्याओं पर काम कर रहा हूं । लेकिन जब यूनिक आई डी कुछेक जगहों पर जारी कि गई तो यह बताया गया की यह मात्र एक पहचान पत्र होगा । मुझे गहरी निराशा हुई । मैंने मंथन शुरु किया कि आखिर वोटर आई कार्ड और पैन जैसे पहचान पत्र रहते हुये फ़िर से एक नये पहचान पत्र की जरुरत क्यों पडी और उसके लिये नंदन निलकेनी जैसे तकनीक के जानकार की जरुरत क्यों थी । पुरी तरह मंथन के बाद मुझे लगा कि शायद इस योजना के पिछे काम कर रहे लोग नही चाहते हैं कि योजना के मुल उद्देश्य का पहले खुलासा हो जाय और बडे –बडे कालाधन धारक सचेत हो जायें। इसके खतरे भी थें, यूनिक आई डी में संपति का विवरण दर्ज होने की संभावना से घबरा कर कालेधन को तरल संपति यानी सोना-चांदी, हिरे इत्यादी में परिवर्तन शुरु हो जाता जिसका पता लगाना कठीन था। हालांकि सोने चांदी की किमतों में अचानक आये उछाल से यह लग रहा है कि यूनिक आई डी के मूल उद्देश्य का पता कालेधन वालों ने लगा लिया है और उसका भी फ़ायदा उठा रहे हैं। पुरी दुनिया में इन धातुओं की किमत में भारी बढोतरी हुई है , शायद आनेवाले समय में संभावित लाभ देखकर इन धातुओं की जमाखोरी शुरु हो चुकी है । खैर अब भी यूनिक आई डी कालेधन को बाहर निकालने का सशक्त जरिया बन सकती है । यूनिक आई डी में संपति का विवरण दर्ज होने की स्थिति में हर यूनिक आई डी धारक को अपनी संपति के विवरण में उसका जिक्र करना होगा । यानी आपके मकान के टैक्स की रसीद से लेकर नये मकान-जमीन ्की खरीद, बैंक के खाते , कार और अन्य बहुमुल्य सामानो की खरीद के समय यूनिक आई डी का उल्लेख करना पडेगा , थानें में मुकदमा दर्ज होने पर मुकदमा करने वाले को अपना यूनिक आई डी देना पडेगा । चार्जशीट दाखिल होने की स्थिति में अभियुक्त की यूनिक आई डी का जिक्र पुलिस को करना पडेगा । प्रत्येक यूनिक आई डी का एक अपना लिंक होगा यानी जैसे हीं यूनिक आई डी का उल्लेख होगा , मुख्य सर्वर में उस यूनिक आई डी से संबंधित सुचना दर्ज हो जायेगी । अगर आप बैंक में पैसे जमा करने जाते हैं तो जैसे हीं बैंक के कम्प्युटर में आपका यूनिक आई डी भरा जायेगा जमा कि गई राशि आपके यूनिक आई डी में आपकी जो संपति का ब्योरा है उसमें दर्ज हो जायेगी । यह एक पूर्ण पारदर्शिता की स्थिति होगी । यूनिक आई डी जिस संपति पर नही होगी वह संपति बेनामी हो जायेगी और उस संपति को जप्त कर लिया जायेगा । हालांकि इसमे एक बाधा उत्पन्न होगी संविधान प्रदत निजता के अधिकार में हस्तक्षेप का । लेकिन इसे दुर करना मुश्किल नही होगा । हमने संविधान की समानता की भावना के विपरित जाकर , जरुरत मंदो को आरक्षण का प्रवधान दिया है , उसी तर्ज पर यह भी कार्य करेगी । ।
बाकी बाते बाद में
1 टिप्पणियाँ:
इतना आसान नहीं है मदन जी, इस आई डी के बनने से यह खत्म होने वाला नहीं, विचार सार्थक है।
Post a Comment