मैं जानता हू यह लेख लिखने का मतलब है बहुत सारे लोगों का कोपभाजन बनना । गाली सुनना , लेकिन बंदा वही लिखता है जो सच है। नरेन्द्र मोदी की गलती का सबसे पहले मैं जिक्र करुंगा । गुजरात का दंगा , बहुत बडा कलंक है नरेन्द्र के माथे पे । यह सही है की जैसे दिल्ली में इंदिरा गांधी की ह्त्या के पहले पंजाबियों की गुंडागर्दी चलती थी ठिक वैसे हीं गुजरात के मुस्लमानो का व्यवहार था। लिखते समय मेरे हाथ रुक रहे हैं क्योंकि मेरे ्कुछ मुस्लिम दोस्त हैं गुजरात के जो मुम्बई में बस गये हैं , दोस्तों एक प्रार्थना है मुझे समझने की कोशिश करना प्लीज । नरेन्द्र मोदी अति मह्तवकांक्षी हैं , भाजपा सवर्ण जाति की पार्टी मानी जाति है हालांकि आज की तारीख में सभी दल वोट के कारण दलित और पिछडो का राग अलाप रहे हैं , इसलिये भाजपा के कुछ नेताओं या आरएसएस के नेताओं की जाति सवर्ण हो जाने का अर्थ यह नही है की वह सवर्णों की पार्टी है , यह एक दिखावा है छलावा है वोट लेने का। जाति सवर्ण , काम आरक्षण की वकालत । खैर शीर्ष पर बैठे नेताओं का कद छोटा करने के लिये के नरेन्द्र मोदी ने शार्ट कट अपनाया और गुजरात के दंगों को दबाने की कोशीश नही की । यह सबसे गलत बल्कि अत्यंत निंदनीय हरकत थी । लेकिन इस देश में जहां वोट के लिये अपनी बेटी को मुसलमान के हाथ में सौपं देने के लिये नेता तैयार हो , नरेन्द्र की गलती पर क्या टिपण्णी करुं ? एक अजीज बर्नी है , उसका कहना है अफ़जल कसाब निर्दोष है । जब उस अजीज बर्नी से कोई पुछताछ हमारे देश की सरकार नही करती बल्कि दामाद की तरह उसकी इज्जत करती है और उसी की बात को दिगविजय सिंह जैसा सतालोलुप दुहराता है तो क्या कहा जा सकता है । खैर अब आते हैं नरेन्द्र मोदी पर । एक बुराई जो इस देश के सभी दल कर रह रहे हैं सापेक्ष या निरपेक्ष रुप में , उसे अगर किनारे कर दे तो नरेन्द्र मोदी ने गुजरात को एक मोडल राज्य की तरह विकसित किया है । वहां नीतीश की तरह जातिवादी ढांचा नही खडा किया नरेन्द्र मोदी ने। वहां विकास में जनता की भागीदारी है । वहां खेती , सेवाक्षेत्र और उद्योग तीनो का एक साथ विकास किया गया है । वहां कोई भुखा नही है , हालांकि पहले भी नही था , चमन लाल पटेल ने नरेन्द्र मोदी से कम नही किया था , उसी को आधुनिक रुप देकर नरेन्द्र मोदी गुजरात को आगे बढा रहे हैं । बिहार में नीतीश यह दर्शा रहे हैं जैसे यह एक नया आजाद हुआ राष्ट्र है । इसे नये संविधान की जरुरत है । इसके पास कुछ भी नही है । ओह क्या हम पागल हैं ? नीतीश इस देश के सबसे बुरे मुख्यमंत्री है । बहुत गंदे है विचार से। सता लोलुप भी हैं। बिहार पहले भी था और नीतीश के बाद भी रहेगा। नीतीश शोषको के प्रतिनिधी है ं। चार हजार रुपये में ठेके पर शिक्षक बहाल किया है नीतीश ने। न्यायमित्र नाम से ग्राम कचहरी में गांव की जनता को न्याय प्रदान करने के लिये एक पद वकीलों का हैं न्याय मित्र का मानदेय है ढाई हजार रुपया । जनवितरण प्रणाली के दुकानदार को कमीशन से ५०० रु० तक आय हो पाती हैं और उससे ज्यादा खर्च राशन को सरकारी गोदाम से दुकान तक लाने में हो जाता है । उपर से आपुर्ति विभाग और मुखिया पार्षद को कमीशन देना पडता है । नतीजा राशन की ब्लैक मारकेटिंग । बिहार को जाति के टुकडे में विभाजित कर दिया है नीतीश ने । पंचायत स्तर पर आरक्षण जिसे नीतीश अपनी उपलब्धि बताते हैं और महिला सशक्तिकरण की मिसाल देते हैं , वह ग्राम विभाजिकरण है । आरक्षण की व्यवस्था के अनुसार महिलाओं में अति पिछडी जाति की महिला , मतलब महिलाओं में भी जातिवाद का जहर । आरक्षण का दुषपरिणाम है की पांच हजार की आबादी वाले पंचायत में आरक्षित जाति की संख्या चार सौ है । मतलब साफ़ है , जिस जाति का बहुमत होगा , उस जात के लोगो की चाकरी करने वाला या कुछ मामलों में रखैल मुखिया बनेगी । बिहार का हर गांव विभाजित हो चुका है । लालू के समय में यह विभाजन नही था । नीतीश की पंचायत में दिये गये आरक्षण ने यह काम किया है । गुजरात में पंचायतों को मिलजुलकर मुखिया चुनने के लिये नरेन्द्र मोदी ने प्रोत्साहित किया , जहां सर्व सम्मति से मुखिया चुना गया , उस गांव को अधिक सरकारी राशी विकास के लिये दी गई । महिलाओं का आरक्षण थोपा नही गया , लोगों को तैयार किया गया की स्वेच्छा से महिलाओं को स्थान दें । जरुरत पडने पर मंदिर , मस्जिद दोनो को अतिक्रमण रहने पर हटाया गया । बिहार में अतिक्रमण हटाने के नाम पर लूट की गई । एक कमिश्नर है के पी रमैया , उसने करोडो कमाये अतिक्रमण हटाने के नाम पर गरीबों को बेदखल करके अमीरों में भय पैदा करके पैसे वसूलें। बोरा में रुपये भेजे आंध्र प्रदेश , सब्जी के ट्रक में छुपाकर । नीतीश का बेहद करीबी है । आजकल पटना का कमिश्नर है । मोदी ने कभी भी नीतीश की तरह दिखावे के लिये भ्रष्टाचार विरोधी कानून नही बनायें। नीतीश ने आते हीं आर्थिक सर्वेक्षण शुरु कराया और उसी के आधार पर राशन और किरासन प्राप्त करने के लिये कुपन वितरित किये गये । यह योजना सबसे फ़्लाप रही लेकिन अंधे और बहरे की तरह नीतीश इसे अपनी उपलब्धि बताते हैं। आधे से ज्यादा परिवार का कोई सर्वेक्षण नही हुआ , उन्हें कोई कुपन नही मिला । सर्वेक्षण मुखिया और वार्ड पार्षदों ने घर बैठकर कर दिया । एक – एक परिवार को चार – चार कुपन मिला । कुछ परिवार तो ऐसे हैं जो सरकारी दुकानों से मिले राशन को ब्लैक करके घर का खर्चा चला रहे हैं , यानी आम जनता को चोर बना दिया नीतीश की कुपन योजना ने । गुजरात में राशन की कालाबाजारी कम है , कारण वहां अधिकारी और मुखिया कमीशन कम लेते हैं , ्लोग भी राशन को ब्लैक नही करते क्योंकि आम सहभागिता की भावना को विकसित किया गया है । बिहार में राशन दुकानदार , आंगनबाडी केन्द्र से लेकर ठेके तक में अधिकारियों और मुखिया –पार्षद का हिस्सा बढा है । तकरीबन निनानबे प्रतिशत मुखिया और पार्षद भ्रष्ट हैं , खुद ठेकेदार बन बैठे हैं । बिहार में उद्योग धंधों का कोई विकास नही हुआ है । एक भी नई फ़ैक्टरी नही लगी है । लोग अपनी जमीन नहीं देना चाहते । गुजरात में स्वेच्छा से अपनी जमीन देते हैं लोग । कारण है मुआवजा और जमीन की वैकल्पिक व्यवस्था होना । गुजरात से कई गुना ज्यादा जमीन है बिहार के पास । गुजरात में जमीन अधिग्रहण के पहले वैकल्पिक व्यवस्था के तहत दुसरी जगह पर जमीन देने की व्यवस्था की जाति है । नौकरी की भी व्यवस्था होती है , परिणाम लोग स्वेच्छा से जमीन देते हैं । गुजरात तुरंत तैयार हो जाता है कम दर पर कंपनियों के लिये जमीन देने को । हम मुह बाये देखते रहते हैं , टाटा की नैनो को बिहार नही बुला पाते । हिंदुस्तान की सभी कंपनियां बिहारियों के श्रम पर टिकी हैं। गुजरात के कल कारखाने यहां तक की पंजाब की खेती भी बिहारियों की बदौलत है लेकिन खुद बिहार में कुछ भी नही है सिवा ड्रामे के । पद रिक्त रहने के बावजुद नौकरियां ठेके पर दी जा रही है । एक हीं स्कुल में लालू के शासन में बहाल किया गया शिक्षक १५-२० हजार पा रहा है तो नीतीश के ठेके पर बहाल शिक्षक को चार हजार मिल रहे हैं । शिक्षकों की बहाली बिना कोई परीक्षा लिये की गई । हर पंचायत के मुखिया ने लाखों कमाये बहाली में । अयोग्य शिक्षक बहाल किये गये कारण भ्रष्टाचार । बालू और पत्थर की किमत सात आठ गुना बढ गई है , ठेके के कारण । बालू और पत्थर के ठेकेदारों ने ज्यादा दर पर ठेके लिये उसे वसुल रहे हैं बालू और पत्थर की किमत बढाकर । बालू घोटाले में आरोपी रहा व्यक्ति नीतीश का एम एल ए है । जातिवाद चरम सिमा पर है , लालू के शासन में यादव राज था तो आज भुमिहार –कुर्मी राज है । यह ज्यादा खतरनाक है , कारण है अधिकारियों से लेकर न्यायपालिका तक में भुमिहार जाति की अच्छी खासी संख्या है । अब न्याय मिलने की उम्मीद भी कम है । पांच साल तक झेला है नीतीश को और अगले पांच साल झेलना पडेगा तबतक बिहार बहुत पिछे जा चुका होगा । १५ साल बडे भाई ने खा लिये अब १० साल छोटा भाई खा रहा है । मीडिया में नाम छपवाकर प्रधानमंत्री का ख्वाब देख रहे हैं नीतीश । तस्लीमुद्दीन जैसों को गले लगाकर मुस्लिम वोटो की राजनिति कर रहे हैं । अति संप्रदायिक और अपराधी चरित्र के है तस्लीमुद्दीन । कांग्रेस की सरकार में राजद कोटे से मंत्री बनने पर भाजपा ने संसद को सर पर उठा लिया था । आज खामोश क्यों है अडवाणी । खैर मोदी का गुजरात नीतीश के बिहaार से हजार गुना अच्छा और आगे है । नीतीश जैसे को सौ जन्म लेने पडेंगे मोदी बनने के लिये । विकास पुरुष नही भ्रष्टाचार पुरुष हैं नीतीश ।
बाकी बाते बाद में