मतपत्र की वापसी हो

27 Nov 2010

२००९ अक्टूबर के बाद हुये विधानसभा चुनाव के नतीजे शक के दायरे में है। मैं अपने पहले ब्लाग में लिख चुका हूं की ई वी एम में छेडछाड आसान है। ई  वी एम के साथ सबसे बडी खराबी है कि मत चोरी किये जाने की स्थिति में चोरी का पता लगाना मुश्किल है जबकी मतपत्रों के चोरी होने यानी एक उम्मीदवार का मत दुसरे के खाते में चले जाने पर मतपत्रों को पुन: निकाल कर उनके उपर मारे गये मोहर को देखकर चोरी पकडी जा सकती है  ।  इस से संबंधित शोधकार्य से जुडे हरि के प्रसाद ने यह स्विकार किया है कि अक्टूबर २००९ में एक क्षेत्रीय दल के नेता ने उनसे संपर्क करके चुनाव को प्रभावित करने का अनुरोध किया था। अब यह सरकार और चुनाव आयोग की जिम्मेवारी बनती है की पता लगाये उस नेता का और राजनितिक दल का। २००९ अक्टूबर के बाद दो राज्यों के चुनाव नतीजे सर्वाधिक चौकाने वाले हैं । एक राज्य है, उडीसा और दुसरा बिहार । दोनो राज्यों में सतारुढ दल की वापसी हुई है। चुनाव नतीजे को प्रभावित तभी किया जा सकता है , जब ई वी एम तक पहूंच हो। और ई वी एम तक पहुंच सिर्फ़ सतासीन दल की हीं होती है। देखना है कि सरकार और चुनाव आयोग जांच करते हैं या नही।
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