यह क्या किया जज साहब , थामस का दोष क्या था
जज साहब आप तीनो ने थामस को हटाकर एक बडा प्रश्नचिंह खडा कर दिया है , जवाब भी आप तीनो को ही देना चाहिये। क्या चार्ज काफ़ी है किसी की नियुक्ति को रोकने के लिये ? अगर आप तीनो ने यानी मुख्य न्यायाधीश महोदय कपाडिया साहब , के एस राधाकर्ष्णण एवं स्वतंत्र कुमार जी , यह फ़ैसला अपने किसी निजी खुन्नस के कारण दिया है तब तो मैं कुछ नही कहूंगा , लेकिन अगर यह भारत के उच्चतम न्यायालय का फ़ैसला है तो मैं इस फ़ैसले को पूर्व मुख्य न्यायाधीश केजी बालाकर्षणण के द्वारा गैस विवाद में मुकेश अंबानी के पक्ष में दिये गये फ़ैसले की तरह अत्यंत बुरा फ़ैसला मानता हूं। आप तीनो महानुभावों को मालूम था थामस राजनिति के शिकार हुये है , थामस ने कहा भी था , आप तीनो ने यह जांच क्यों नही कराई की आखिर वह कौन सा शख्स है , जिसका शिकार थामस हैं। आप लोग जानते हैं , सिर्फ़ चार्ज लगाने से कोई अपराधी नही हो जाता । जज साहबान आपलोगों ने हीं बार-बार कहा है , जबतक किसी को सजा नही होती वह निर्दोष है , लेकिन आपलोगों ने तो पामोलीन केस में बिना सजा हुये हीं , थामस को सजा दे डाली , वह भी उस केस को आधार बनाकर जिसमें रिहाई भी हो सकती है , यह क्या किया ? क्या यह पूर्वाग्रह की श्रेणी में नही आता ? मैं एक सपना देख रहा हूं , जी हां न सिर्फ़ जागते हुये बल्कि यह लिखते हुये भी “थामस नाम का एक आदमी है , कुछ नेता उसको फ़ुटबाल बनाकर देअ दनादन ठोकर मार रहे हैं , साथ में गाली भी दे रहे हैं , साला यह हमारे खिलाफ़ रहता है , अब हमारी सरकार है , साले को मार मार कर पिद्दी बना दो जिवन में कभी खडा न हो सके , कभी खिलाफ़ न बोल सके , अगर बोले भी तो लोग चोर –चोर कह कर उल्टे इसी को पिटे , नेताओं में एक ऐसा भी है जो ठोकर नही मार रहा , वह कहता है , अरे साले को किसी केस में डाल दो सब हेकडी निकल जायेगी , किसी काम का नही रहेगा , चार्जशीट करवा देना है बस” वह आदमी पिटता रहता है , जेल जाता है , निकलकर आता है , उसका प्रोमोशन होता है , लेकिन मारनेवालों को यह नागवार लगता है , जज साहब से फ़रियाद करते हैं यह दागी है , इतने बडे पद की गरिमा के अनुकुल नही है , इसे हटायें , जज साहब पुछते हैं उस थामस नाम के आदमी से और सरकार से दागी को क्यों प्रोन्नति दी , मालूम नही है , इस पद की गरिमा ? जिसके उपर घोटाले का केस चल रहा हो , उसे इस पद पर लाना , पद की पवित्रता को खत्म करता है। पद की गरिमा के खिलाफ़ है नियुक्ति, हटाओ इसे । जज साहब का आदेश सर आखों पर लेते हुये , कुछ झलाते हुये , दे देता है , अपना इस्तीफ़ा । जज साहब के न्याया पर पुरे देश में तालिया बजती है , जज साहब भी अपनी बीबी को टीवी और अखबार में अपनी हो रही प्रशंसा दिखाते हुये कहते है , देखा इसे कहते हैं , न्याय। कुछ दिनो बाद उस थामस नाम के आदमी का मुकदमा खुलता है , वह रिहा हो जाता है । वह निर्दोष साबित होता है , वह घर नही जाता , वह पहुंच जाता है , उसे हटाने वाले जज साहब के कोरट में , जज साहबान किसी गंभीर मुकदमे की सुनवाई कर रहे हैं। थामस अपने पैर के दोनो जुते निकालता है , और ये सटाक , फ़िर दुसरा , सटाक । जुते सीधे मुह पे पडते है , जज साहब के । खलबली मच जाती है , थामस को पकडकर जज साहबान के सामने लाया जाता है , कौन हो तुम , ओह तुम हो , जज साहबान उसे कैसे भुल सकते थे , उसी के कारण तो जज से भगवान बने थे । तुमने जुते क्यों चलाये , थामस कोई जवाब नही देता , बकता है तो सिर्फ़ गालियां । आंख से टपक रही है आग , जैसे कच्चा चबा जायेगा । और मुह से निकल रही है , गालियां । जज साहबान उसे जेल भेज देते हैं। अब जुते मारने की क्या सजा । छूट कर आता है , और इस बार जज साहब कही पार्टी में जा रहे है , जैसे हीं अपनी कार से उतरते हैं फ़िर सटाक से एक जुता मुह पे । अंत में उसे पागलखाने भेजे दिया जाता है । वाह रे न्याय।
तो मेरा यह सब सुनाने का बस एक हीं कारण है , अगर कल की तारिख में थामस निर्दोष साबित होता है तो क्या होगा ? आपने सतर्कता आयुक्त के पद से उसे हटाने का आदेश देकर , पामोलिन केस को प्रभावित कर दिया । अब क्या करेंगे , आप तीनो की इज्जत तो लग गई दाव पर । पामोलिन केस मे थामस की रिहाई यानी आप महानुभावो की खिचाई । यह काम किया क्यों । अब क्या करेगें , क्या पामोलिन केस की सुनवाई करने वाले जज को धमकायेंगे या लालच देंगे की सजा करो उस केस में। पामोलिन केस भी अब शक के दायरे में आ गया । आप तीनो ने एक और बात कही है । थामस की नियुक्ति सतर्कता आयुक्त के पद की गरिमा के अनुकुल नही है । यह कौन सी जबान है । अगर थामस की नियुक्ति दारोगा के पद पर होती तो कोई समस्या नही थी , यही कहना चाहते हैं न आपलोग । पद के आधार पर भेदभाव का इससे अच्छा उदाहरण क्या हो सकता है । थामस को दागी माना , सतर्कता आयुक्त के पद की गरिमा के अनुकुल नही थी एक भ्रष्टाचार के आरोप से ग्रसित व्यक्ति की नियुक्ति , इसका क्या अर्थ है , यानी सतर्कता आयुकत के अतिरिक्त किसी अन्य छोटे पद पर दागी की नियुक्ति हो सकती है , क्या आप तीनो के कहने का तात्पर्य यही है न। माथे के बाल नोच रहा हूं। आप महानुभावो के फ़ैसले को पढ पढ कर । जहां आप महानुभावो को थामस के हित की रक्षा करनी चाहिये थी , वही आपने उसकी हत्या कर दी । आपने न्याय कि परिभाषा हीं बदल दी । अब किस मुह से आप तीनो किसी केस में यह फ़ैसला देंगे कि जब तक किसी को सजा नही होती वह निर्दोष है । क्या यह अच्छा नही होता , एक समय सीमा निर्धारित करते हुये पामोलीन केस का फ़ैसला करवाते , फ़िर कोई निर्णय लेते । इतना तो तय है , आप तीनो यह समझ रहे है कि आपने गलत फ़ैसला दिया है ।लेकिन वह लालच क्या है जिसने आप महानुभावो को अपनी आत्मा को बेचने के लिये बाध्य कर दिया । जज साहबान अब कुछ कटु वचन पे आता हूं। केजी बालाकर्सणण मानवाधिकार का अधयक्ष बन गये । वह कांग्रेस के पक्ष में रहते थें। आप तिनो कांग्रेस के खिलाफ़ है , बस यही है , आपका असली चेहरा । मुझे इंतजार रहेगा । रिटायर्ड होने के बात कौन सा उपहार मिलता है आपलोगों को । कापाडिया साहब आप तो बस अगले साल २९ सितंबर को और स्वतंत्र साहब भी ३१।१२। २००९ को रिटायर्ड हो रहे है । उस वक्त आउंगा इससे भी कडवे वचन के साथ अगर रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस विरोधी किसी दल ने आप दोनो को कोई भी पद दिया या कमीशन का अध्यक्ष बनाया और हां मै आपके उस न्यायालय की अवमानना वाली धमकियों को ठेंगे पर रखता हूं। मैने देखा है निर्दोषो को आजीवन कारावास की सजा काटते । उनकी सजा बहाल रही उच्चतम न्यायालय द्वारा भी। गनीमत माने उन निर्दोषो ने जुते नही मारे आपलोगों को । भगवान बनना बंद करो , पुर्वाग्रह से उपर उठकर सोचो । थामस को हटाया तो अपने जजो को हटाओ , सैकडो है जिनके उपर चार्ज लगे है , भ्रष्टाचार के । कुछ नाम मैं भी गिनाउ क्या?
बाकी बाते बाद में
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