अर्द्ध सैनिक बलों का अत्याचार
११अ्क्टूबर दिनमें तकरीबन१०-११ बजे के करीब बिहार के गया जिले के धार्मिक स्थान बो्धगया के ढाबानुमा एक होटल से सी आर पी एफ़ ने चार व्यक्तियों को अपनी गाडी मे बैठाया और लेकर चले गएं । सुचना मिलने पर मैने गया के पुलिस कप्तान अमीत लोढा से फ़ोन से जानकारी ली तो उन्होने इसे स्वीकार किया परन्तु एफ़ आई आर क्यों नही हुआ इसका कोई जवाब नही दिया। सभी दैनिक समाचार पत्रों को इसकी जानकारी है लेकिन किसी ने यह जानने की जहमत नही उठाई की कारण क्या है और मुकदमा क्यों नहीं दर्ज हुआ। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे चार आदमी नक्सलवादी हैं। सी आर पी एफ़ के कमांडर बी के सिंह तथा उनके एक मातहत से बात करने पर यह तथ्य उभर कर सामने आया की जो भी हुआ एस पी गया की जनकारी में हुआ और अभीतक उनमें से दो व्यक्ति सी आर पी एफ़ के कैंप में गैरकानूनी तरीके से बंद है । बाकी दो का क्या हुआ यह किसी को नही पता है । मेरे द्वारा पुछे जाने के बाद बंद दोनो व्यक्तियों से उनके घर पर फ़ोन कर यह कहने के लिए कहा गया कि वे दो दिन बाद आ जायेंगे अभी कहीं बाहर हैं। नक्सली जब पुलिस के साथ गलत करते हैं तो सारा देश निंदा करता हैं लेकिन उनको गैर कानूनी तरीके से बंधक बना कर यातना दी जा रही है और सभी सो रहे हैं । कानून के शासन की बात करने वाले नीतीश कुमार के लिए यह शर्मिंदगी की बात है। लेकिन उन्हें कोई असर नही पडने वाला। आखिर कब तक कानून के रखवाले कानून की धज्जियां उडाते रहेंगे ?
११अ्क्टूबर दिनमें तकरीबन१०-११ बजे के करीब बिहार के गया जिले के धार्मिक स्थान बो्धगया के ढाबानुमा एक होटल से सी आर पी एफ़ ने चार व्यक्तियों को अपनी गाडी मे बैठाया और लेकर चले गएं । सुचना मिलने पर मैने गया के पुलिस कप्तान अमीत लोढा से फ़ोन से जानकारी ली तो उन्होने इसे स्वीकार किया परन्तु एफ़ आई आर क्यों नही हुआ इसका कोई जवाब नही दिया। सभी दैनिक समाचार पत्रों को इसकी जानकारी है लेकिन किसी ने यह जानने की जहमत नही उठाई की कारण क्या है और मुकदमा क्यों नहीं दर्ज हुआ। कयास लगाए जा रहे हैं कि वे चार आदमी नक्सलवादी हैं। सी आर पी एफ़ के कमांडर बी के सिंह तथा उनके एक मातहत से बात करने पर यह तथ्य उभर कर सामने आया की जो भी हुआ एस पी गया की जनकारी में हुआ और अभीतक उनमें से दो व्यक्ति सी आर पी एफ़ के कैंप में गैरकानूनी तरीके से बंद है । बाकी दो का क्या हुआ यह किसी को नही पता है । मेरे द्वारा पुछे जाने के बाद बंद दोनो व्यक्तियों से उनके घर पर फ़ोन कर यह कहने के लिए कहा गया कि वे दो दिन बाद आ जायेंगे अभी कहीं बाहर हैं। नक्सली जब पुलिस के साथ गलत करते हैं तो सारा देश निंदा करता हैं लेकिन उनको गैर कानूनी तरीके से बंधक बना कर यातना दी जा रही है और सभी सो रहे हैं । कानून के शासन की बात करने वाले नीतीश कुमार के लिए यह शर्मिंदगी की बात है। लेकिन उन्हें कोई असर नही पडने वाला। आखिर कब तक कानून के रखवाले कानून की धज्जियां उडाते रहेंगे ?
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