बिहार विधानसभा का चुनाव अब अपने अंतिम दौर में है . २० नवम्बर को आखिरी दौर का चुनाव है. तकरीबन १३ विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां सिर्फ नक्सलियों का फ़रमान चलता है. कहने के लिए अर्द्ध सैनिक बल तैनात हैं लेकिन उसका कोई ख़ास असर नहीं पड़ने वाला . नक्सल प्राभावित क्षेत्र में पुलिस थानों में दिन में भी ताला लगा रहता है . अस्थायी रूप से अर्द्ध सैनिक बलों की तैनाती से जनता के अंदर आत्मविश्वास नहीं पैदा किया जा सकता है . गया के ग्रामीण क्षेत्र में वैंकेया नायडू , पूर्व अध्यक्ष का हेलीकाpटर नक्सलियों ने जला दिया था . बिहार के सभी राजनीतिक दलों के उम्मीदवार नक्सलियों की मदद लेने के लिए उनके साथ सौदे बाजी करते हैं. नक्सल क्षेत्र के मतदाताओ की मजबूरी है नक्सल फ़रमान को मानना . नक्सल समस्या मूलत: भ्रष्टाचार की देन है. बिहार शायद देश के सवार्धिक भ्रष्ट राज्यों में है. यहाँ मुखिया और वार्ड पार्षद स्तर पर भ्रष्टाचार अपने पाँव जमा चुका है . सभी सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार की भेट चढ़ चुकी हैं . अफसरशाही बेलगाम है . सरकार के स्तर पर अफसरों कों भ्रष्टाचार की छूट हासिल है . अफसरों ने भी मिली हुई छूट का अहसान चुनाव में पक्षपात पूर्ण तरीके से मतदान केन्द्रों पर अर्द्ध सैनिक बलों की नियुक्ति कर के अदा किया . चुनाव परिणाम आ चुका है। राजग गठ्बंधन को मिली सफ़लता अप्रत्याशित है। ई वी एम मशीनों की विश्वसनियता पर सवाल खडा हो गया है। हालांकि पुरे चुनाव के दौरान ईलेक्ट्रोनिक मीडिया का रवैया पक्षपात पुर्ण रहा। मैं ई वी एम में गडबडी की जा सकती है या नही, इस पर काम कर रहा हुं। नतीजे चौकानेवाले हैं। .
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