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रतन टटा और मुकेश अंबानी बीच में हिलेरी क्लिंगटन |
छुप गये सारे नजारे वोय क्या बात हो गई , तुने काजल लगाया दिन में रात हो गई । रतन टाटा जी किसी की निजता में हस्तक्षेप निश्चित हीं गलत है। लेकिन जब निजता राष्ट्र के हितो को क्षति पहुंचाये तो क्या करे ? राष्ट्रहित देखें या निजता की रक्षा करें। निरा से संबंध को आप भी स्विकार कर ते हैं। अब आप यह बतायें लाबिंग का मतलब क्या होता है ? Act of attempting to convince public officials to favour a certain cause or take a certain action. Is it morally or ethically right? एक तरफ़ आप कहते हैं की आपने कभी भी निरा से सरकारी अधिकारियों को पैसे देने या उनका फ़ेवर पाने के लिये नही कहा । न हीं आपने राडिया के द्वारा पोलिसी मैटर में कोई बदलाव लाने के लिये प्रयास किया । लेकिन रतन जी मैं आपकी सब बात मान लेता हूं , आप सिर्फ़ यह बता दें की निरा राडीया को किस काम की जिम्मेवारी आपने दी थी । रह गई न्यायालय की बात तो भगवान भला करे इस मुल्क का । गैस विवाद में मुकेश के पक्ष में सरकार का खडे हो जाना और मुकेश के पक्ष में आया सर्वोच्य न्यायालय का फ़ैसला मेरे गले नही उतरता है । बालाकर्ष्णन का सेवा नि्वर्ति के तत्क्षण मानव अधिकार आयोग का अधय्क्ष बनाना भी मेरे जैसे व्यक्ति को सार्वजनिक जिवन में नैतिकता की सीमा रेखा का उल्लंघन लगता है। बाकी बातें बाद में।
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