चोर चोर मौसेरे भाई

1 Dec 2010

मनमोहन सिंह करुणानिधी


मनमोहन सिंह ए राजा

टेलीकाम विभाग का कर्यक्रम


चोर चोर मौसेरे भाई
जी घोटाले के लिये लोकसभा में बार-बार हंगामा खडा हो रहा है एक लाख छिहतर हजार करोड का घोटाला है बिपक्ष की मांग है संयुक्त संसदीय समिति यानी जे पी सी सांसदों की समिति में सिर्फ़ सांसद होंगे और जब संसद हीं अपनी विश्वसनीयता खो चुकी हो तो उसके सदस्यों के बारे में क्या कहा जा सकता है। पैसे लेकर संसद में प्रश्न पुछ्ने वाले क्या खाक जांच करेंगे यह कुछ ऐसा है की एक चोर की चोरी की जांच की जिम्मेवारी के लिये चोरों की समिति बना दी जाय। जे पी सी में जो भी सांसद रहेंगे वह किसी किसी राजनितिक दल के हीं होंगे सभी दलों का करुणानिधी से अच्छे संपर्क रहे हैं कम्युनिस्टों के भी। ये दल और उनके सांसद जो जे पी सी में शमिल होंगे , वह सिर्फ़ सौदेबाजी करेंगे बहुत सारे दल है जिनके सांसदों पर सी बी आई की जांच चल रही है। वह दल कांग्रेस पर दबाव बनायेंगे की जांच में छुट हासिल करने के लिये जी घोटाले की जांच जे पी सी से करवाने का अर्थ है घोटाले को दफ़न कर देना। अच्छा होता की भ्रष्टाचार के खिलाफ़ संघर्षरत संगठन , व्यक्ति , पत्रकार , समाजसेवी, न्यायाधीश , वकील, और नागरिकों की एक समिति बना दी जाय तथा सी बी आई से हो रही जांच की निगरानी  की जिम्मेवारी उसे सौंपा जाय। राजा से पुछताछ नही किये जाने का जबाव सी बी आई ने जो दिया उससे मेरा जैसा व्यक्ति हतप्रभ रह गया कोरोवरेटिव एवीडेंस तलाशने में जुटी सी बी आई के अधिकारी अच्छी तरह जानते हैं की इन्ट्रोगेशन के दौरान जो बातें निकल कर आयेंगी सिर्फ़ उसका वेरीफ़िकेशन या क्रास चेकिंग से हीं आधा सच सामने जायेगा लेकिन सी बी आई की भी मजबूरी है। अपनी गिरती जा रही प्रतिष्ठा को भी बचाना है तथा आकाओं की भी रक्षा करनी है। जो जांच हो रही है वह सजा दिलाने तक के मुकाम तक नही पहूंच पायेगी अभी से हीं बचाव की तरकीब निकाल ली गई है। वाहियात टेपों के द्वारा क्या साबित करना चाहती है सी बी आई टेपों का साक्ष्य में कितना महत्व है सभी कानून जानने वालों को पता है। फ़ोरेंसिक जांच के बगैर तो सारे टेप कुडे की तरह है। सभी अपनी आवाज होने से ईंकार करेंगे। फ़िर बात उठेगी की दबाव डालकर बातचीत रिकार्ड की गई है। अपनी बात संक्षिप्त में कहने का आदी हूं आज कुछ ज्यादा बाते कर ली एक अंतिम बात घोटाला हुआ या नही इसे दरकिनार करें मन मोहन सिंह जी, यह तो सभी स्विकारेंगे की बहुत बडी यानी लाखो करोड की आर्थिक क्षति पहुंची है जी घोटाले में लिये गये गलत निर्णय से , क्या यह काफ़ी नही है मन मोहन सिंह जी के इस्तीफ़ा के लिये ? आप अर्थ शास्त्री हो यही कारण था की आपको प्रधान मंत्री की गद्दी मिली वरना नान्हू मांझी जो रिक्सा चला कर अपने बच्चों का पेट भरता है, आप से ज्यादा ईमानदार है कैसे अर्थ शास्त्री निकले आप की देश को लाख करोड से ज्यादा का चुना वह व्यक्ति लगाता रहा जिसे आपने करोडो कमाने की जिम्मेवारी दी थी बस बहूत हुआ , आप इस्तीफ़ा दे दें अभी तक तो गलत को छुपाने का अभियोग लग रहा है , आगे पदलोलुप होने का लगेगा बाकी बातें बाद में।

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