बच्चे समाचार नहीं देखतें

10 Dec 2010

बच्चे समाचार नहीं देखतें
चलिये यह सबसे बडी बात है कि बच्चे समाचार नही देखते। अगर देखते तो चोर, बेईमान , भ्रष्ट और दलाल बन जाते ।राडिया,  बरखा , वीर, बालाकर्ष्णन , मुकेश , अनील, प्रभु चावला, रतन टाटा बन जातें। हो सकता था इन सबसे भी बडे बन जाते इन्सान तो शर्तियां नहीं बन सकते थें। औरतें देखती हैं सब छ्ल प्रपंच भरे सिरियल , बल्कि औरतों का बहुत बडा सहयोग है ऐसे धारावाहिकों के टी आर  पी बढाने में उनको बडा मजा आता है जब कोई बहु सास को दे द्नादन मारती हैं मंद मंद मुस्कान लेती हैं खुलकर नही हंसती , सामने अजीब सा जीव पति जो होता है, या फ़िर कोई सास। लेकिन बहुओं की जब पिटाई या घर से बडे बे आबरु खदेडाई होती है तब तो उनकी सुरत देखने लायक होती है। मुह बिसुराके यू  देखती हैं जैसे उनकी हीं पिटाई हो रही है। अगर पति को भी साथ में घर निकाला होने का सीन है तब चेहरे की स्टाईल बदली हुई होती है। मन हीं मन सोचती हैं चलो रोज रोज के खटपट से अच्छा है अलग कुटिया बसाना। बुढी रहेगी हीं ससुरा बुढा। और जब खाने के लाले पडते हैं तो मन हीं मन गुनगुनाती हैं तेरा साथ है तो मुझे क्या फ़िकर है। यानी कोल्हू में जुतने वाला पति नाम का जीव साथ में है तो क्या चिंता अपने को तो सिर्फ़ खाना बनाना, घर सजाना देखना है बाकि काम के लिये तो एजी हैं हीं। खैर बाकि बातें बाद में।
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