अनंत सिंह बिहार के मोकामा क्षेत्र से जनता दल युनाईटेड यानी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दल के विधायक हैं । प्रजातंत्र के ईस प्रहरी को खुद की पहरेदारी के लिए बीसो रायफ़ल ले कर चलना पड्ता है। अपने ईलाके में आतंक का पर्याय माने जाते है और छोटे सरकार के नाम से प्रसिद्ध है। कोई इन्हे बाहुबली कहे यह इनको पसंद नही । एन डी टीवी के पत्रकार को पुलिस कि उपस्थिति में बंधक बनाकर पिटा था इन्होने उसकी गुंज पुरे देश में सुनाई पडी थी। एक सप्ताहिक को दिए साक्षात्कार में उल्टा मिडीया से हीं इन्होने पुछ डाला बाहुबली कि परिभाषा । यहांतक की मिडीया को कहा कि बाहुबली शब्दों का इस्तेमाल पत्रकारों की बदमाशी है। खैर अब जब सवाल पुछा हीं है छोटे सरकार ने तो जवाब न देना उनकी तौहिन होगी । छोटे सरकार बाहुबली का मतलब है प्रजातंत्र में लाठी और रायफ़ल के सहारे दुसरों की आवाज दबाने वाला। बाहुबली का मतलब है वह आदमी जिसके भय से कोई उसकी गलती पर भी अंगुली नही उठाए। वह आदमी जो अपनी आत्म रक्षा के नाम पर जिससे जान का खतरा हो उसकी ह्त्या करे या करवा दे। बाहुबली का मतलब है। सैकडो अपराध का अभियुक्त बनने के बाद भय पैदा कर विधायक बने और प्रजातंत्र को शर्मशार करे। बाहुबली का मतलब है जमीन कब्जा से लेकर ठेके तक में अपने भय का अहसास कराना। अरबों की अवैध कमाई से मोकामा से लेकर पट्ना और अन्य नगरों में आलिशान भवन बनाना । आपका घोडा प्रेम भी चर्चित है। लेकिन वह भी जुतता है आपकी बग्घी में, आखिर है तो जानवर हीं बेचारा । यह मत कहना छोटे सरकार की आप वोट से जीतते है। सभी बाहुबली वोट से हीं जीतते है बुथ कब्जा करके नही । लेकिन वह वोट खरीदा हुआ होता है या आतंक पैदाकर के हासिल किया हुआ । आप मेरे एक सवाल का जवाब देना क्यों विधायक हीं बनना चाहते थे आप ?भूलकर भी न कहना जन सेवा के लिए। और भी बहुत सारे रास्ते है उसके लिए। अनंत सिंह एक बात याद दिला देता हूं जबतक अशिक्षा जातिवाद और गरीबी है तभी तक बाहुबली हैं। पिछ्ले लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने मुखतार अंसारी सुरजभान से लेकर शहाबुद्दीन तक सभी को धुल चटा दिया था। आपने पत्रकारों से पुछी थी बहुबली की परिभाषा वह मैने बता दी अगर फ़िर भी न समझ पाएं हों तो एक कबीर की पंक्ति है। बुरा जो देखन मैं चला बुरा न मिल्हन कोई जो घर झांके आपना मुझसे बुरा न कोई। छोटे सरकार कुच्छ बुरा लगा हो तो माफ़ करना प्रकाश सिंह की तरह बंधक न बनाना ,क पत्रकार हुं सच बोलना फ़ितरत है करे तो क्या करें । बाकी बाते बाद में
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