पर क्या शाम होने के पहले सुरज कहीं ढल जाता है।
सुरज ढल गया, मैं देखता रहा , रोता रहा पर कुछ न कर पाया। बहुत महंगा है इलाज , बस अब बस । हर कोई संजय दत्त नही होता, न हीं जिन्दगी सिनेमा है। घर पे हीं एक फ़िल्म देखा था , संजय दत्त हीरो था। अस्पताल को बंधंक बना लेता है,बेटी के ईलाज के लिये पर राजू संजय दत्त तो नही हो सकता । मर गई राजू की बीबी ।
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