धोनी की शादी हुई । और टीवी वाले बाराती बने । बाराती भी ऐसे की सिर्फ़ और सिर्फ़ शादी का हीं नजारा दिखाते नजर आयें। राडिया ने दलाली की फ़िर मिला मसाला और अभी राडिया हीं राडिया दिखी। बिहार में चुनाव हुआ । नीतीश सता में आयें। अब लगा की दुबारा न चुनाव होंगे न हीं आनेवाले दिनों में विपक्ष नाम का जीव होगा। धोनी की शादी का ड्रामा टी वी और अखबारों में देखा तो लगा शायद मंगल ग्रह पर घर बसाने वाली बात सत्य हो गई । और मैं साक्क्षी को बहुत गौर से बार – बार देखने लगा । तलाशने लगा लेकिन कहीं से भी वह मंगल ग्रह की वासी नही लगी । तब दिमाग ने कहा धत बुद्धु हो क्या। अरे यह टी आर पी बढाने और अखबार बेचने की तरकीब है। बुद्धु बक्से ने मुझे हीं बुद्धु बना दिया। राडिया के टेप सुने बार – बार पचास बार सुना और फ़िर तलाशने लगा उसमें दास्ताने लैला मजनू । लेकिन न लैला मिली न मजनू । मिली तो सता की कोठी पर बैठने वाली एक दलाल । फ़िर बिहार के चुनाव का नतीजा आया । और पढा इतिहास पुरुष नीतीश । खोजने लगा राणा प्रताप , शिवा जी । झांसी की रानी की जिवनी । खंगालने लगा पांच साल के विकास का इतिहास । और फ़िर खा गया गच्चा । न विकास मिला न हीं विकास के पुरुषार्थ वाला पुरुष। दिमाग ने फ़िर डांटा , पागल हो क्या । अरे भाई टी वी और अखबार विग्यापन पर चलते हैं। इतिहास पुरुष न बतायेंगे तो क्या खाक मिलेगा विग्यापन । लतियाके भगा देंगे नीतीश । मैने कहा तुम पागल हो । संतोष भारतीय ने बताया है नीतीश को इतिहास पुरुष । १९७४ के जे पी आंदोलन के नेता रहे हैं । आजकल चौथी दुनिया ्साप्ताहिक बेच रहें हैं। गलत थोडे लिखेंगे। ठहाके लगाये दिमाग ने , कहा यार १९७४ के तो नीतीश , लालू, शिवानंद मोदी सब हैं। एक ने आतंक राज तो दुसरे ने भ्रष्टाचार राज कायम किया । बचे शिवानंद तो उनकी हालत धोबी के ॥॥॥॥॥॥॥। की है , न घर का न घाट का। और बेचारा मोदी , तो उसे बहुत दिनों बाद खुलकर पिछडावाद करने का मौका मिला है। भाजपा तो ठहरी अगडो की पार्टी । वहां तो उसका चलता न था। इसलिये सट के बैठा है नीतीश की गोद में। दिमाग ने कस कर डाटा चलो अपना काम करो। मैने भी सोचा अब बाकी बाते बाद में
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