बीबी पड गई बिमार । घर में मात्र पांच प्राणी । मैं, नीलम, बेटी ओशीन और बेटा ओशो साथ में शैगी । खाना दुसरे का बनाया पसंद नही । बेटी स्कुल से आती है। बाप –बेटी मिलकर बना लिया । कभी होटल से भी आ गया । लेकिन एक चीज बिमार होने के पहले बनी थी , भउरी यानी लिट्टी । सतु भरी तंदूर पर पकी । ज्यादा थी चार दिनों तक खुब आराम से नास्ते और खाने में भी लिया। भउरी , भोजपुरियों का प्रिय भोजन है। भोजपुरी भाषी मुलत: बिहार के तकरीबन ३० प्रतिशत और यूपी के ६० प्रतिशत हिस्से में निवास करते हैं। क्षेत्रीय भाषाओं के स्तर पर हिन्दुस्तान की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। गिरगिटिया मजदूर ने दुनिया के अन्य हिस्से में भी इसका प्रसार किया और कुछ भोजपुरी भाषी छोटे –छोटे देशों के प्रधान मंत्री पद तक पहूचें। भारत में राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद , लोकनायक जय प्रकाश , प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री एवं चन्द्रशेखर भोजपुरी भाषी हीं थे। खैर , अब फ़िर आते हैं लिट्टी पर । बिहार के आरा और यूपी के बलिया की लिट्टी यानी भउरी सबसे मशहुर है। गांवों में अभी भी गोईठा पर हीं लिट्टी बनती है। लेकिन आप तंदूर पर भी इसे घर में बना सकते हैं। रिकसा वाला , कुली, कारखानों के मजदूर सहित हम जैसे गांव –जवार से जूडे लोगों का प्रिय है भउरी । बडा हीं टेस्टी होता है। बनाकर के बिना किसी प्रिजर्वेटिव के दसो दिन तक रखिये खराब नही होगा। खैनी खा के चुपके से कोना तलाश कर पीच करने वाले और बेबाक भोजपुरियों की मनपसंद है यह । भोजपुरियों की एक और खासियत है। वह है बिना लाग लपेट के बतियाना । अगर आप उनकों मुर्ख बना रहे हैं तो समझिये आप के जाने के बाद चार गाली रखी है आपके लिये। आपके मुह पर तो कुछ नही बोलेंगे , चुकी आपके भारी भरभक व्यक्तित्व से दबे हुये हैं। लेकिन जैसे हीं फ़ालतू आदर्श झाडकर आप हटे नहीं , आपस मे बतियायेंगे , ससुरा हमनी के मुरुख सम झ ता । टैक्स चोरा के करोडपति बन गईल बा , हमनी के दु हजार देके बाप के नोकर समझले बा , इमानदारी सिखावत बा। आगे से संभल के बोलि्येगा भोजपुरियन से ना त गारी रखल बा । अब बस बाकी बाते बाद में
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